| 1. | बिल्कुल पृथ्वीराज-संजुक्ता का दर्पण प्रतिबिंब पर पृथ्वीराज का
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| 2. | बिल्कुल पृथ्वीराज-संजुक्ता का दर्पण प्रतिबिंब पर पृथ्वीराज का स्वरूप सर्वथा विपरीत।
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| 3. | इस अणु और उसके दर्पण प्रतिबिंब को प्रतिबिंब रूप, प्रकाशीय प्रतिविन्यासी (
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| 4. | ये दोनों क्रिस्टल एक दूसरे के दर्पण प्रतिबिंब हैं और अध्यारोपित नहीं होते।
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| 5. | सक्रिय समावयवी हैं, जो आपस में एक दूसरे के दर्पण प्रतिबिंब होते हैं।
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| 6. | ये दोनों क्रिस्टल एक दूसरे के दर्पण प्रतिबिंब हैं और अध्यारोपित नहीं होते।
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| 7. | सक्रिय समावयवी हैं, जो आपस में एक दूसरे के दर्पण प्रतिबिंब होते हैं।
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| 8. | ये दोनों क्रिस्टल एक दूसरे के दर्पण प्रतिबिंब हैं और अध्यारोपित नहीं होते।
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| 9. | के दो रूप ही संभव होंगे और दोनों एक दूसरे के दर्पण प्रतिबिंब होंगे।
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| 10. | इस दूसरे प्रकार के क्रिस्टल को दर्पण प्रतिबिंब (मिरर इमेज) की संज्ञा दी गई।
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